Monday, 4 January 2021

दुख का अनुभव किए बिना सुख की अनुभूति नहीं होती



 सच्चा जीवन

जो व्यक्ति हर पल अपने प्रति ईमानदार रहता है, वास्तव में वही सच्चा जीवन जीता है।कबीर दास जी ने कहा है कि ईश्वर ने जिस तरह पवित्र आत्मा के साथ तुम्हें पृथ्वी पर भेजा था, ठीक उसी तरह उन्हें दे देना। जो व्यक्ति ईश्वर को कभी नहीं भूलता और सदैव अपने कर्तव्यों को निष्ठा पूर्वक निभाता है और जो मिल जाए उसी में संतुष्ट हो जाता है वही सच्चा सुखी है। संतोष  जीवन और असंतोष मृत्यु। 

मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र और सबसे बड़ा दुश्मन उसके अपने विचार ही हैं। मनुष्य को यह जानना- समझना होता है कि कौन सा विचार उसका मित्र है और कौन सा विचार उसका दुश्मन।

सकारात्मक विचार उसका मित्र और अपना साथ कई दोस्तों को लाता है और नकारात्मक विचार वाला व्यक्ति दुश्मनों से घिर जाता है। असल में सभी लोग जीवन को अपने अपने नजरिए से देखते हैं;

कोई कहता है कि जीवन एक खेल है कोई कहता है कि जीवन एक यात्रा है कोई कहता है कि जीवन एक दौड़ है।

कहने का तात्पर्य ही है कि हम जिस नजरिए से जीवन को देखेंगे, हमारा जीवन वैसा ही बन जाएगा, लेकिन सच्चा जीवन वही जी सकता है जो अपने जन्म और मृत्यु के बीच के समय को भरपूर हास्य और प्रेम से भर दे।
     अक्सर मनुष्य अपने भविष्य और अतीत के बारे में सोचता रहता है और इस चक्कर में वर्तमान की कोई परवाह नहीं करता, जबकि जीवन वर्तमान में ही है" कल कभी नहीं आता" जो है वह आज और अभी है। जो समय बीत गया उसे याद करके पछताना नहीं चाहिए। अगर अतीत मनुष्य से गलती हुई भी तो उसे उससे सबक लेकर अपने वर्तमान को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करना चाहिए। मनुष्य को भविष्य में आने वाले संकटों को देखकर घबराना नहीं चाहिए क्योंकि जिस मनुष्य का वर्तमान आनंदित है उसका भविष्य भी सुंदर होगा।वर्तमान को आनंदित बनाने के लिए मनुष्य को कोई भी कार्य शुरू करने से पहले उसके सभी पहलुओं पर गौर कर लेना चाहिए।
   जैसे- वह यह कार्य क्यों कर रहा है, क्या वह है इस कार्य को अकेले कर पाएगा या उसे और लोगों की जरूरत पड़ेगी और इस काम के नतीजे क्या होंगे।
बिना सोचे विचारे किए गए काम का नतीजा अक्सर दुखद होता है










    जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा ‌।

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई , धर्म नहीं कोई न्यारा।।


शांति का संबंध मन से ही वस्तु से नहीं जिन्होंने भगवान का  आमंत्रण सुना है वह कभी घाटे में नहीं रहे। साधना का अर्थ है अपने को  अ है बनाना