Friday, 5 February 2021

नजरिया


     
जिंदगी जीना और जीवन में कुछ हासिल करना निश्चय ही आसान हो जाएगा अगर इस नजरिए से जिंदगी जिया जाए-
  
इस संसार को एक थिएटर मानो जिसमें एक नाटक रूपी फिल्म की शूटिंग चल रही है जिस के डायरेक्टर हैं भगवान यानी की प्रकृति।
इस नाटक में सब को अलग-अलग किरदार मिले हैं और किरदार पूरा होते हुए कि दूसरा किरदार मिल जाता है जैसे-किसी को मां का किरदार किसी को पिता का तो किसी को मालिक तो किसी को नौकर का तो किसी को गुरु का तो किसी को शिष्य का  किरदार मिला इस कर्म युग में हम अपने किरदार को पूर्णता सर्वोत्तम रूप से प्रस्तुत करके समय के साथ दूसरा किरदार को  बखूबी निभा सकते हैं ।   
   इसलिए बिना कुछ ज्यादा सोचे अपना किरदार सबसे अच्छा प्रस्तुत करने के लिए मेहनत करो ताकि इस नाटक रूपी फिल्म को अच्छा से अच्छा बनाया जा सके।
  केवल अपने-अपने डायलॉग को अच्छा से अच्छा प्रस्तुत करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहो डायलॉग अच्छा बोलने पर नाटक रूपी फिल्म अपने आप अच्छी हो जाएगी।
 खुशी मन से रात को सोने से पहले अपने डायलॉग को दोहरा कर सोए क्योंकि याद रहे सुबह उठकर डायलॉग बोलने है।


संसार वैसा नहीं है जैसा हमें दिखाई देता है संसार वैसा है जैसा हमारा नजरिया होता है इसलिए अपने अपने नजरिए को बदलिए अगर आप अनुकूल आनंद का अनुभव नहीं कर रहे हैं तो निश्चित रूप से आपका नजरिया संसार के प्रति या अपने प्रति कहीं न कहीं नकारात्मक है।

हमारा नजरिया बनता है विचारों से, हमारा विचार बनता है संगत क्योंकि  संगत से मिलती हमें सूचनाएं और हमारा मस्तिष्क और मन दोनों सूचनाओं पर ही सोचते है।
   
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