Tuesday, 5 May 2020

जीवन का सत्संकल्प


               हमारा युग निर्माण सत्संकल्प

 
   यह सत्संकल्प सभी आत्म निर्माण , परिवार निर्माण एवं समाज निर्माण के साधकों को नियमित पढ़ते रहना चाहिए। इस संकल्प के सूत्रों को अपने व्यक्तित्व में ढालने का प्रयत्न करते रहना चाहिए। 

इस सूत्रों की व्याख्या ' इक्कीसवीं सदी का संविधान ' पुस्तक में पढ़े।

हम ईश्वर को सर्वव्यापी , न्यायकारी मानकर उसके अनुशासन को अपने जीवन में उतारेंगे।

✳शरीर को भगवान का मन्दिर समझकर आत्मसंयम और नियमितता द्वारा आरोग्य की रक्षा करेंगे।

✳ मन को कुविचारों और दुर्भावनाओं से बचाए रखने के लिए स्वाध्याय एवं सत्संग की व्यवस्था रखे रहेंगे।

✳ इंन्द्रिय संयम , अर्थ संयम , समय संयम और विचार संयम का सतत अभ्यास करेंगे।

✳अपने आपको समाज का एक अभिन्न अंग मानेंगे और सबके हित में अपना हित समझेंगे।

✳ मर्यादाओं को पालेंगे, वर्जनाओं से बचेंगे, नागरिक कर्तव्यों का पालन करेंगे और सामाजनिष्ठ बने रहेंगे।

✳ समझदारी , ईमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी को जीवन का एक अविच्छिन्न अंग मानेंगे।

✳ चारों ओर मधुरता , स्वच्छता , सादगी एवं सज्जनता का वातावरण उत्पन्न करेंगे।

✳ अनीति से प्राप्त सफलता की अपेक्षा नीति पर चलतेहुए असफलता को शिरोधार्य करेंगे।

✳ मनुष्य के मूल्यांकन की कसौटी उसकी सफलताओं , योग्यताओं , योग्यताओं एवं विभूतियों को नही , उसके सविचारों और सत्कर्मों को मानेंगे।

✳  दूसरों के साथ वह व्यवहार नही करेंगे , जो हमें अपने लिए पसंद नही।

✳ नर - नारी के प्रति परस्पर पवित्र दृष्टि रखेंगे।

✳  संसार में सत्प्रवृत्तियों के पुण्य प्रसार के लिए अपने समय , प्रभाव , ज्ञान , पुरूषार्थ एवं धन का एक अंश नियमित रूप से लगाते रहेंगे।

✳ परंपराओं की तुलना में विवेक को महत्व देंगे।

✳  सज्जनों को संगठित करने , अनीति से लोहा लेने और नवसृजन की गतिविधियों में पूरी रूचि लेंगे।

✳ राष्ट्रीय एकता एवं समता के प्रति निष्ठावान रहेंगे। जाति , लिंग ,भाषा , प्रांत ,संप्रदाय आदि के कारण परस्पर कोई भेदभाव नही बरतेंगे।

✳ मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है - इस विश्वास के आधार पर हमारी मान्यता है कि हम उत्कृष्ट बनेंगे और दूसरों को श्रेष्ठ बनायेगें  , तो युग अवश्य बदलेगा।
  


                            सत्य वाक्य 

 🌟 जीवन का अर्थ है- समय । जो जीवन से प्यार करते हों , वे आलस्य में समय नष्ट न करें।

🌟 मनुष्य का जन्म तो सहज होता , पर मनुष्यता उसे कठिन प्रयत्न से प्राप्त करनी पड़ती है।

🌟 संकटों और दुःखो से तभी छुटकारा मिल सकता है , जब उससे मुक्ति पाने के लिए प्रयास किए जाए।

🌟जिसने जीवन में स्नेह - सौजन्य का समुचित समावेश कर लिया , सचमुच वही सबसे बड़ा कलाकार है। 

   
    

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