Thursday, 31 December 2020

संस्कार का महत्व

 संस्कार जीवन का एक अनमोल खजाना है जिसके अंदर यह खजाना है वह प्रत्येक जीव का का दिल जीत सकता है वह जीवन में सब कुछ पा सकता है-

जिस प्रकार कोई भी चीज करने की प्रक्रिया होती है -

    जैसे-अगर हमें कोई फसल को उगाना है तो पहले हम उस खेत को जिस खेत में हमें उस फसल को उगाना है उस खेत की हम जुताई करते हैं फिर उसमें बीज बोलते हैं फिर सिंचाई करते हैं फिर फिर पौधों पर फल लगते हैं फिर से कटाई करते हैं तब जाकर हम उस फसल का उपयोग करते हैं

ऐसे ही संस्कार सीखने में कुछ प्रक्रिया होती है और यह स्वयं होती है-

संस्कार सीखने में जो पहला चरण होता है वह होता है संगत का जैसा होता है संगत वैसे ही मिलती हमें वहां की सूचना और हमारा मस्तिष्क सूचना पाकर ही विचार आता है और जैसा होता है हमारा विचार वैसा ही हम करते हैं अपना कार्य और जैसा होता है अपना कार्य वैसे होता है हमारा संस्कार जैसे हमारा होता है संस्कार वैसे लोगों से हम करते हैं वैसे ही व्यवहार और जैसा होता है हमारा व्यवहार वैसा होता है हमारा प्रचार और जैसे होता है हमारा प्रचार वैसे होता है हमारा व्यापार और जैसे होता है हमारा व्यापार होता है फिर वैसे ही



सपना साकार यह नियम सत्य है इसे कोई नकार नहीं सकता क्योंकि यह सब पर लागू होता है और इसी नियम के अनुसार और यह अनुभव कर ही रहीम दास जी ने कहा है



       संगत से गुण होत है संगत से गुण जात।

       बांस, फांस और मिश्री एक ही भाव बिकात।।








    सलिए जीवन में जैसी संगत होगी वैसे ही आपका विचार होगा और जैसा आपका विचार होगा वैसा आपका संस्कार होगा इसलिए सोच समझकर संगत क्योंकि संगत का ही असर पूरे जीवन पर पड़ता है अच्छे लोगों के साथ रहिए जो सत्य की राह पर इमानदारी से चलते हो और अपना धर्म और  कर्तव्य को पूर्ण रुप से ध्यान में रखकर प्रत्येक कार्य को करते हो।

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