लक्ष्य
लक्ष्य कहते हैं हम इन नश्वर चीजों के लोभ, मोह, लालसा आदि को हम सब यह जानते हैं कि किसी भी प्रकार का भौतिक सुख शाश्वत नहीं होता है लेकिन फिर भी हम अपनी सारी जिंदगी के अमूल्य समय को इनको पाने में गवा देते हैं
अरे ! लक्ष्य वो हो जो इस लोक में भी शाश्वत रहे और परलोक मैं भी शाश्वत रहे।
लक्ष्य ऐसा बनाओ जैसे परमात्मा से मिलन का ऐसा जो शाश्वत सुख प्राप्त कराएं।
इस संसार में यदि खुश और सुखी रहना चाहता है तो परमात्मा से प्रेम करो।
परमात्मा से प्रेम करने से पहले खुद से प्रेम करो खुद से प्रेम करना है तो वह कर्म करो जो हमारी आत्मा को सुख प्राप्त कराएं। तभी हम खुद से प्रेम करेंगे ,खुद से प्रेम करेंगे तो खुद पर भरोसा होगा और जिसे खुद पर भरोसा होता है वो इस संसार में कोई भी चीज प्राप्त कर सकता है।
किसी भी मनुष्य की चार गुरु होते हैं
1.गुरु
2.मां
3.पिता
4.पुस्तक या शास्त्र
मनुष्य जीवन अगर सफल या सिद्ध करना है तो इन चारों गुरु की आज्ञा और उनके निर्देशों क पालन करो
संसार की कोई भी शक्ति इन चारों महात्माओं से बड़ी नहीं है इन्हें के चरणों में स्वर्ग है।


Very good thought.
ReplyDeleteKeep it up dear..
Good Thought Bhai ..
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